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This is a Testing Annocement. I don't have Much to Say. This is a Place for a Short Product Annocement

Thursday, 27 September 2012

पैसे पेड़ पर नहीं उगते प्रधानमंत्री का बयान

आपको याद होगा प्रधानमंत्री का वो बयान जिसमें उन्‍होंने कहा था कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते. उन्होंने इस जुमले का बेहद होशियार इस्तेमाल किया था. लेकिन सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारियां बता रही हैं कि ये नसीहत सिर्फ हमारे और आपके लिए थी. जब अपनी बारी आई तो सरकार ने ऐसे खर्च किए जैसे पैसे पेड़ से तोड़कर लाए गए हों.
पीएम की दावत 
घर का खाना लोग इसलिए खाते हैं कि खर्चा कम हो और सेहत दुरुस्त. लेकिन प्रधानमंत्री ने जब मेहमानों को खाने पर बुलाया तो खर्चे से खलबली मच गई और खजाने की सेहत पस्त हो गई. 375 मेहमानों को खिलाने पर 29 लाख रुपये उड़ा दिए गए प्रधानमंत्री के भोज में एक वक्त के खाने पर. ये दावत यूपीए-2 सरकार की तीसरी सालगिरह पर प्रधानमंत्री ने दी थी. 7721 रुपये की एक थाली परोसी गई थी प्रधानमंत्री की दावत में.

आपने सिर्फ मुहावरों में छप्पन भोग सुना होगा. लेकिन इस दावत में वाकई 56 तरह के व्यंजन परोसे गए थे. ये उस सरकार के जश्न में परोसी गई थाली की कीमत है जो कहती है कि 16 रुपये में इस देश का आम आदमी मजे में खाना खा सकता है. अगर उसकी इस दलील को मान लें तो यूपीए के भोज में परोसी गई एक थाली की एवज में 250 लोगों की बारात खा सकती थी. या एक आदमी 6 महीने तक दोनों वक्त की रोटी खा सकता था.

मंत्रियों के   विदेशी  दौरे 
56 भोग के उड़ाने वाले मंत्रियों ने उड़ने में भी कोई रहम नहीं किया खजाने पर. पिछले साल मंत्रियों के विदेश दौरे शुरू हुए तो बजट पनाह मांगने लगा. पूरे 678 करोड़ रुपए मंत्रियों ने फूंक दिया विदेश दौरों पर. ये रकम तय बजट से एक दो नहीं पूरे 12 गुना ज्यादा थी. इन उडा़नों पर इतने उड़ गए कि आम आदमी का दिमाग उड़ जाए.

खाली होते सरकारी खजाने को भरने के लिए किसानों और आम आदमी को दी जाने वाली सब्सिडी पर कैंची में कोई कोताही न करने वाली मनमोहन सिंह की सरकार ने मंत्रियों के खर्चे में कभी कोई कंजूसी नहीं बरती. सूचना के अधिकार के तहत मिली एक जानकारी में जो खुलास हुआ है उसे सुनकर आप चकरा जाएंगे.

मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्रियों की मुसाफिरी खजाने पर बहुत भारी पड़ी है. 2011-12 में 678 करोड़ 52 लाख 60 हजार रुपए मंत्रियों के विदेश दौरों पर स्वाहा हो गए. विदेश दौरों के पीछे मंत्री ऐसे बावरे हुए कि पता ही नहीं चला कि बजट का बैंड बज चुका है. विदेश दौरों का बजट 2011-12 का बजट 46 करोड़ 95 लाख रुपए था जबकि 2010-11 में विदेश दौरे पर 56 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. यानी इस वर्ष पिछले साल से 12 गुना ज्यादा खर्च विदेशी दौरों पर किया गया.


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह: 2010-11 7 दौरे, 2011-12 14 दौरे.
विदेश मंत्री एसएम कृष्णा: 2010-11 6 दौरे, 2011-12 15 दौरे.
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा: 2010-11 4 दौरे, 2011-12 8 दौरे.
पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय: 2010-11 कोई दौरा नहीं, 2011-12 5 दौरे.



इन सारे दौरों का खर्च मिलाकर बनता है 678 करोड़ 52 लाख 60 हजार रुपये. पिछले साल से एक दो नहीं पूरे 12 गुना ज्यादा. मंत्रियों की ये मुसाफिरी सरकारी खजाने पर बहुत भारी पड़ी है.
प्रधानमंत्री अवाम को उपदेश देते रहे और मंत्री हवा में उड़ते रहे. ये सवाल प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए. हम अच्छी तरह जानते हैं कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते, अगर पैसे पेड़ पर नहीं उगते तो मंत्रियों के दौरों पर उनका दिल इतना बड़ा कैसे हो गया. वो भी देश की क़ीमत पर.     


लोगो की राय (एक न्यूज चैनल का सर्वे) 



                                                                      
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